Zero Rupee Note: क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ समय पहले जीरो रुपए का भी नोट छप गया था? जी हां, बिल्कुल सही सुन रहे हैं। आप सभी की जानकारी के लिए बता दें कि शायद यह बात आपको पता नहीं होगी, लेकिन सरकार के द्वारा वर्ष 2007 में जीरो रुपए के नोट की छपाई शुरू की गई थी और इसे 2014 में पूरी तरीके से बंद भी कर दिया था।
यदि आपको अभी तक इस नोट के बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है, तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आपके मन में चल रहे सभी सवालों के जवाब बताने वाले हैं। और इस नोट के पीछे का क्या कारण था, यदि आपके मन में भी अब विचार है, तो इस आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ें।
Zero Rupee Note
सर्वप्रथम आप सभी की जानकारी के लिए बता दें कि इस जीरो रुपए के नोट का कोई भी मूल्य नहीं था, यानी यह किसी भी तरह से प्रचलन में उपलब्ध नहीं था। हालांकि, 7 साल तक इस नोट की छपाई निरंतर चालू रही। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पता चला है कि उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक हर स्थान पर इस नोट की डिमांड काफी बढ़ रही थी। लेकिन 7 वर्ष बाद बैंक के द्वारा इस नोट को पूर्ण तरीके से प्रबंधित करने का विचार किया गया, और यह नोट लीगल टेंडर भी नहीं था।
Zero Rupee Note: खासियत
वर्ष 2007 में चेन्नई की एनजीओ यानी गैर सरकारी संगठन पिलर कंपनी के द्वारा जीरो रुपए के नोटों की छपाई शुरू की गई थी। देखा जाए तो इसमें सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा किसी भी प्रकार की मान्यता नहीं दी गई थी। यानी कि यह स्वयं के द्वारा छाप गया एक नोट था, जो कि एक विशेष प्रकार की कंपनी के द्वारा निर्धारित था, और इसमें हिंदी समेत कुछ प्रमुख प्राचीन भाषाओं के संदेश भी लिखे गए थे।
क्या था इसका कारण
इस नोट को छापने के पीछे का प्रमुख उद्देश्य सरकारी दफ्तरों में हो रहे भ्रष्टाचार में कमी लाना था। सरकारी दफ्तर में कार्य करने वाले नागरिक हमेशा घूस के नाम पर कुछ ना कुछ पैसे लूट लिया करते थे, और एनजीओ के द्वारा इसकी सख्त कार्यवाही की जाने वाली थी। इसे लेकर उन्होंने इस जीरो रुपए के नोट को प्रावधान के रूप में लाया था।
10000 के नोट की हुई थी छपाई
आपको यह जानकारी उपलब्ध नहीं होगी कि भारत में पहले ₹10000 का भी नोट उपलब्ध हुआ करता था, और इसका प्रचलन भी काफी तेजी से चला था। हालांकि, सरकार की ओर से ₹10000 के नोट की छपाई को पूरी तरीके से 1990 के बाद ही बंद कर दिया गया था। वर्तमान समय में भारत में सबसे बड़े नोट की श्रृंखला केवल ₹500 की है। इससे पहले भी ₹2000 और ₹500 के नोट को आरबीआई के द्वारा प्रचलन से हटा दिया गया था।
सरकार के द्वारा वर्तमान समय में ₹2000 के नोट को भी प्रचलन से हटा दिया गया है, और नियमित रूप से हो रहे भ्रष्टाचार में कमी लाने के लिए सरकार के द्वारा ऐसे महत्वपूर्ण कदम उठाए जाते हैं। जीरो रुपए का नोट छापने का कोई महत्वपूर्ण अर्थ नहीं है, केवल भ्रष्टाचार में कमी लाने के लिए इसे जारी किया गया था।
इसके अलावा, भारत में कई प्रकार के विशेष श्रृंखला और श्रेणी वाले नोटों को जारी किया गया था, हालांकि कुछ नोट आज भी प्रचलन में हैं और कुछ को सरकार के द्वारा प्रचलन से पूरी तरीके से समाप्त कर दिया गया है।